टैक्स सेविंग के लिए जल्दबाजी में न लें कोई फैसला, इन 4 गलतियों से सावधान रहें

टैक्स बचाने की जल्दबाजी में हम ऐसी कई सारी गलतियां कर बैठते हैं, जो लंबी अवधि तक हमारे आर्थिक भविष्य के लिए नुकसानदायक बन जाती हैं। किसी भी निवेश के लिए टैक्स बचाना ही एकमात्र बड़ा कारण नहीं होना चाहिए। बल्कि आपको अपनी टैक्स प्लानिंग प्रक्रिया को हमेशा ही अपने लंबी अवधि के आर्थिक लक्ष्यों के साथ जोड़कर रखना चाहिए। नवीन कुकरेजा, सीईओ एण्ड को-फाउंडर Paisabazaar.com आपको इस लेख में ऐसी ही कुछ गलतियों के बारे में बता रहे हैं जिन्हे करने से बचना चाहिए।


इन बातों का रखें ध्यान...




  1. पूंजी बनाने की कोशिशों को महत्व न देना


     


    एक सामान्य नियम के तहत आपको ELSS, PPF, NPS आदि विभिन्न निवेश विकल्पों में सिर्फ इनके टैक्स लाभ देखने की बजाय इनके रिटर्न, लिक्विडिटी और जोखिम के मापदंडों पर तुलना करनी चाहिए। ऐसा करने से आप टैक्स बचत के साथ ही पूंजी निर्माण के अपने दोहरे उद्देश्य को पूरा कर सकेंगे। इससे लंबी अवधि के लक्ष्यों को समय पर पूरा करने में भी मदद मिलेगी, जैसे कि रिटायरमेंट पूंजी जुटाना और बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए पैसे जमा करना।


     




  2. पारंपरिक निवेश साधनों तक ही टैक्स बचत पोर्टफोलियो को सीमित रखना


     


    अक्सर लोग जोखिम से बचने के लिए बाज़ार से जुड़े निवेश साधनों में पैसा लगाने से बचते हैं। भले ही ELSS जैसे साधन PPF, टैक्स सेवर FD, NSC आदि से अधिक रिटर्न देते हैं, लेकिन पुरानी सोच वाले निवेशक इससे दूरी बनाए रखते हैं। सेक्शन 80सी के अंतर्गत ELSS पर मिलने वाले टैक्स लाभ के अलावा, यह विकल्प लंबी अवधि में महंगाई दर से अधिक रिटर्न देते हैं। इतना ही नहीं, ELSS में निवेश पर आपको इसके समकक्ष अन्य विकल्पों से काफी अधिक रिटर्न भी मिलता है। इस विकल्प में निवेश के लिए तीन वर्षों की सबसे कम लॉक-इन अवधि होती है, जो आपके निवेश पोर्टफोलियो में सबसे अधिक लिक्विडिटी (पैसे निकालने की सुविधा) भी देते हैं। ELSS इक्विटी केंद्रित फंड्स होते हैं और इक्विटी निवेश उत्पादों ने लगातार महंगाई दर के साथ ही अन्य निवेश विकल्पों को भी लंबी अवधि में बड़े अंतर से पीछे छोड़ा है। ऐसे में ELSS की लॉक-इन अवधि समाप्त होने के बाद भी इसमें निवेश जारी रखना समझदारी वाला कदम होगा। जहां तक टैक्स की बात है, तो एक वित्त वर्ष में ELSS में निवेश पर होने वाले रु. 1 लाख तक के लाभ टैक्स मुक्त होते हैं। इस सीमा के बाद ही लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाया जाता है।


     




  3. साल के अंत में ही टैक्स प्लानिंग की आदत रखना


     


    टैक्स चुकाने वाले लोगों की एक अन्य बड़ी गलती है हमेशा साल के अंत में ही टैक्स बचाने के लिए निवेश के विकल्प तलाशना। अंतिम वक्त में टैक्स प्लानिंग की इस भागदौड़ के बीच कुछ गलत फैसले हो सकते हैं, जिससे कम रिटर्न देने वाले निवेश विकल्प चुन लेने की संभावना अधिक रहेगी। अंतिम समय में जल्दबाजी से या तो आप समय पर अपने निवेश प्रमाण जमा करने से चूक सकते हैं या फिर भुगतान की स्वीकृति मिलने में देरी हो सकती है, जिससे टैक्स चुकाने वाले व्यक्ति को वास्तव में टैक्स लाभ ना मिलने की आशंका बन जाएगी। वहीं, वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में एकमुश्त निवेश करने से आप अपने चुने गए टैक्स बचत वाले निवेश उत्पाद में पूरे साल के रिटर्न कमाने का मौका चूक जाएंगे। इसलिए यही सलाह दी जाती है कि टैक्स बचत की प्लानिंग वित्त वर्ष की शुरुआत में ही करें। क्योंकि इससे आपको टैक्स बचत उत्पादों में सही समय पर निवेश करने की सुविधा मिलेगी और सालभर रिटर्न प्राप्त करने और टैक्स बचाने का दोहरा फायदा भी प्राप्त होगा।


     




  4. निवेश और बीमा को एक साथ मिलाना


     


    टैक्स देने वाले लोग अक्सर बीमा और निवेश को एक साथ जोड़ने की गलती भी करते हैं। ऐसे लोग एनडाउमेंट, मनी बैक पॉलिसी या यूलिप में निवेश करना चाहते हैं। ऐसे उत्पाद ना तो आपको पर्याप्त बीमा कवर देते हैं ना ही बेहतर रिटर्न कमाते हैं। साथ ही इनमें 5 वर्ष का लॉक इन अवधि होती है। वहीं, पेंशन प्लान जैसे उत्पाद आपकी रिटायरमेंट उम्र तक लॉक-इन में होते हैं। इसलिए, टैक्स बचत की योजना बनाते वक्त बीमा और निवेश को अलग-अलग रखना ही बेहतर होगा। एक जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने का मुख्य उद्देश्य हमेशा यही होना चाहिए कि आपकी असमय मृत्यु होने पर आपके परिवार के लिए वैकल्पिक आमदनी सुनिश्चित हो सके। इसके लिए टर्म इंश्योरेंस सर्वोत्तम बीमा उत्पाद है क्योंकि इसमें आपको अपनी वार्षिक आमदनी का 10-15 गुना कवर बेहद कम प्रीमियम पर मिल जाता है। वहीं, अपने लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए पूंजी जुटाने के लिए म्यूचुअल फंड्स सबसे उपयुक्त साधन हैं। इनमें आपको अन्य विकल्पों की तुलना में अधिक रिटर्न पाने की अधिक संभावना के साथ ही अलग-अलग जोखिम क्षमता वाले लोगों के लिए विभिन्न प्रकार के उत्पाद मिल जाएंगे। इसके अलावा, सेक्शन 80सी के अंतर्गत आने वाले सभी टैक्स बचत निवेश उत्पादों की तुलना में ELSS फंड्स में तीन वर्षों की सबसे कम लॉक-इन अवधि होती है।